वैष्णव धर्म - An Overview
वैष्णव धर्म - An Overview
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The Tamil literature of this period has references scattered all over towards the colonies of Brahmans introduced and settled down during the south, and The entire output of this archaic literature exhibits unmistakably considerable Brahman impact inside the producing up of that literature.[43]
निम्बार्क वैष्णव ( निम्बार्काचार्यअन्तर्गत )
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शाहजहाँ का साम्राज्य विस्तार और उत्तराधिकार का युद्ध
In tantric traditions of Vaishnavism, throughout the initiation (diksha) offered by a guru less than whom they are qualified to be aware of Vaishnava methods, the initiates accept Vishnu as supreme.
भागवत धर्म अपनी उदारता और सहिष्णुतावृत्ति के कारण अत्यंत प्रख्यात है। इस धर्म में दीक्षित होने का द्वार किसी के लिए कभी बंद नहीं रहा। भगवान् वासुदेव के प्रति प्रेम रखनेवाला प्रत्येक जीव इस धर्म में आ सकता है, चाहे वह जात्या कोई भी हो तथा गुणत: कितना भी नीच हो। भागवत पुराण का यह प्रख्यात कथन भागवत धर्म के औदार्य का स्पष्ट परिचायक है :
अष्टादश महापुराणों में श्री विष्णुपुराण का स्थान बहुत ऊँचा है। इसमें अन्य विषयों के साथ भूगोल, ज्योतिष, कर्मकाण्ड, राजवंश और श्रीकृष्ण-चरित्र आदि कई प्रंसगों का बड़ा ही अनूठा और विशद वर्णन किया गया है। श्री विष्णु पुराण में भी इस ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति, वर्ण व्यवस्था, आश्रम व्यवस्था, भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की सर्वव्यापकता, ध्रुव प्रह्लाद, वेनु, आदि राजाओं के वर्णन एवं उनकी जीवन गाथा, विकास की परम्परा, कृषि गोरक्षा आदि कार्यों का संचालन, भारत आदि नौ खण्ड मेदिनी, सप्त सागरों के वर्णन, अद्यः एवं अर्द्ध लोकों का वर्णन, चौदह विद्याओं, वैवस्वत मनु, इक्ष्वाकु, कश्यप, पुरुवंश, कुरुवंश, यदुवंश के वर्णन, कल्पान्त के महाप्रलय का वर्णन आदि विषयों का विस्तृत विवेचन किया गया है। भक्ति और ज्ञान की प्रशान्त धारा तो इसमें सर्वत्र ही प्रच्छन्न रूप से बह रही है।
राम, कृष्ण, नारायण, कल्की, हरि, विठ्ठल, केशव, माधव, गोविंदा, श्रीनाथजी आणि जगन्नाथ ही समान नावे म्हणून वापरली जाणारी लोकप्रिय नावे आहेत.[१]
विकिपिडिया, एक स्वतन्त्र विश्वकोशबाट
इसके अलावा मध्यकालीन उत्तरभारत में ब्रह्म(माध्व) संप्रदाय के अंतर्गत ब्रह्ममाध्वगौड़ेश्वर(गौड़ीय) संप्रदाय जिसके प्रवर्तक आचार्य श्रीमन्महाप्रभु चैतन्यदेव हुए और श्री(रामानुज) संप्रदाय के अंतर्गत रामानंदी संप्रदाय जिसके प्रवर्तक आचार्य श्रीरामानंदाचार्य हुए ।
वैष्णव धर्म के प्रवर्तक कृष्ण थे, जो वृषण कबीले के थे और जिनका more info निवास स्थान मथुरा था।
चरण खड़ाऊँ शोभे, तिलक त्रिपुण्ड भाला।। ओउम जय।।
महात्मा बुद्ध द्वारा प्रतिपादित धर्म के सिद्धान्त
the different sects of worshippers of Vishnu pray to him in different ways. for many, the goal of spiritual devotion (
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